॥ दोहा ॥ मैं हूँ बुद्धि मलीन अति । श्रद्धा भक्ति विहीन ॥ करूँ विनय कछु आपकी । हो सब ही विधि दीन ॥
॥ चौपाई ॥ जय जय नीब करोली बाबा । कृपा करहु आवै सद्भावा ॥ कैसे मैं तव स्तुति बखानू । नाम ग्राम कछु मैं नहीं जानूँ ॥ जापे कृपा द्रिष्टि तुम करहु । रोग शोक दुःख दारिद हरहु ॥ तुम्हरौ रूप लोग नहीं जानै । जापै कृपा करहु सोई भानै ॥4॥ करि दे अर्पन सब तन मन धन । पावै सुख अलौकिक सोई जन ॥ दरस परस प्रभु जो तव करई । सुख सम्पति तिनके घर भरई ॥ जय जय संत भक्त सुखदायक । रिद्धि सिद्धि सब सम्पति दायक ॥ तुम ही विष्णु राम श्री कृष्णा । विचरत पूर्ण कारन हित तृष्णा ॥8॥ जय जय जय जय श्री भगवंता । तुम हो साक्षात् हनुमंता ॥ कही विभीषण ने जो बानी । परम सत्य करि अब मैं मानी ॥ बिनु हरि कृपा मिलहि नहीं संता । सो करि कृपा करहि दुःख अंता ॥ सोई भरोस मेरे उर आयो । जा दिन प्रभु दर्शन मैं पायो ॥12॥ जो सुमिरै तुमको उर माहि । ताकि विपति नष्ट ह्वै जाहि ॥ जय जय जय गुरुदेव हमारे । सबहि भाँति हम भये तिहारे ॥ हम पर कृपा शीघ्र अब करहु । परम शांति दे दुःख सब हरहु ॥ रोक शोक दुःख सब मिट जावै । जपै राम रामहि को ध्यावै ॥16॥ जा विधि होई परम कल्याणा । सोई सोई आप देहु वरदाना ॥ सबहि भाँति हरि ही को पूजे । राग द्वेष द्वंदन सो जूझे ॥ करै सदा संतन की सेवा । तुम सब विधि सब लायक देवा ॥ सब कुछ दे हमको निस्तारो । भवसागर से पार उतारो ॥20॥ मैं प्रभु शरण तिहारी आयो । सब पुण्यन को फल है पायो ॥ जय जय जय गुरुदेव तुम्हारी । बार बार जाऊं बलिहारी ॥ सर्वत्र सदा घर घर की जानो । रूखो सूखो ही नित खानो ॥ भेष वस्त्र है सादा ऐसे । जाने नहीं कोउ साधू जैसे ॥24॥ ऐसी है प्रभु रहनी तुम्हारी । वाणी कहो रहस्यमय भारी ॥ नास्तिक हूँ आस्तिक ह्वै जावै । जब स्वामी चेटक दिखलावै ॥ सब ही धर्मन के अनुयायी । तुम्हे मनावै शीश झुकाई ॥ नहीं कोउ स्वारथ नहीं कोउ इच्छा । वितरण कर देउ भक्तन भिक्षा ॥28॥ केही विधि प्रभु मैं तुम्हे मनाऊँ । जासो कृपा-प्रसाद तव पाऊँ ॥ साधु सुजन के तुम रखवारे । भक्तन के हो सदा सहारे ॥ दुष्टऊ शरण आनी जब परई । पूरण इच्छा उनकी करई ॥ यह संतन करि सहज सुभाऊ । सुनी आश्चर्य करई जनि काउ ॥32॥ ऐसी करहु आप अब दाया । निर्मल होई जाइ मन और काया ॥ धर्म कर्म में रूचि होई जावे । जो जन नित तव स्तुति गावै ॥ आवे सद्गुन तापे भारी । सुख सम्पति सोई पावे सारी ॥ होय तासु सब पूरन कामा । अंत समय पावै विश्रामा ॥36॥ चारि पदारथ है जग माहि । तव कृपा प्रसाद कछु दुर्लभ नाही ॥ त्राहि त्राहि मैं शरण तिहारी । हरहु सकल मम विपदा भारी ॥ धन्य धन्य बड़ भाग्य हमारो । पावै दरस परस तव न्यारो ॥ कर्महीन अरु बुद्धि विहीना । तव प्रसाद कछु वर्णन कीन्हा ॥40॥ ॥ दोहा ॥ श्रद्धा के यह पुष्प कछु । चरणन धरी सम्हार ॥ कृपासिन्धु गुरुदेव प्रभु । करी लीजै स्वीकार ॥ Neem Karoli Baba Chalisa Lyrics in English
॥ Doha ॥ Main Hoon Buddhi Maleen Ati । Shraddha Bhakti Vihin ॥ Karoon Vinay Kachhu Apki । Ho Sab Hi Vidhi Deen ॥
॥ Chaupai ॥ Jai Jai Neeb Karoli Baba । Kripa Karahu Aavai Sadbhava ॥ Kaise Main Tav Stuti Bakhanoo । Naam Graam Kachhu Main Nahin Jaanoon ॥ Jape Kripa Drishti Tum Karahu । Rog Shok Duhkh Darid Harahu ॥ Tumharau Roop Log Nahin Janai । Japai Kripa Karahu Soi Bhanai ॥ 4 ॥ Kari De Arpan Sab Tan Man Dhan । Pavai Sukh Alaukik Soi Jan ॥ Daras Paras Prabhu Jo Tav Kari । Sukh Sampati Tinake Ghar Bhari ॥ Jay Jay Sant Bhakt Sukhadayak । Riddhi Siddhi Sab Sampati Dayak ॥ Tum Hi Vishnu Ram Shri Krishna । Vicharat Poorn Karan Hit Trshna ॥ 8 ॥ Jay Jay Jay Jay Shri Bhagavanta । Tum Ho Sakshat Hanumanta ॥ Kahi Vibhishan Ne Jo Bani । Param Saty Kari Ab Main Mani ॥ Binu Hari Kripa Milahi Nahin Santa । So Kari Kripa Karahi Duhkh Anta ॥ Soi Bharos Mere Ur Aayo । Ja Din Prabhu Darshan Main Paayo ॥ 12 ॥ Jo Sumirai Tumako Ur Maahi । Taki Vipati Nasht Hvai Jahi ॥ Jay Jay Jay Gurudev Hamare । Sabahi Bhanti Ham Bhaye Tihare ॥ Ham Par Kripa Sheeghr Ab Karahu । Param Shanti De Duhkh Sab Harahu ॥ Rok Shok Duhkh Sab Mit Javai । Japai Ram Ramahi Ko Dhyavai ॥ 16 ॥ Ja Vidhi Hoi Param Kalyana । Soi Soi Aap Dehu Varadana ॥ Sabahi Bhanti Hari Hi Ko Pooje । Raag Dvesh Dvandan So Joojhe ॥ Karai Sada Santan Ki Seva । Tum Sab Vidhi Sab Layak Deva ॥ Sab Kuchh De Hamako Nistaro । Bhavasagar Se Paar Utaro ॥ 20 ॥ Main Prabhu Sharan Tihari Aayo । Sab Punyan Ko Phal Hai Payo ॥ Jay Jay Jay Gurudev Tumhari । Baar Baar Jaoon Balihari ॥ Sarvatr Sada Ghar Ghar Ki Jano । Rookho Sookho Hi Nit Khano ॥ Bhesh Vastr Hai Sada Aise । Jaane Nahin Kou Sadhoo Jaise ॥ 24 ॥ Aisi Hai Prabhu Rahani Tumhari । Vaani Kaho Rahasyamay Bhari ॥ Nastik Hoon Aastik Hvai Jaavai । Jab Svami Chetak Dikhalavai ॥ Sab Hi Dharman Ke Anuyayi । Tumhe Manavai Sheesh Jhukai ॥ Nahin Kou Svarath Nahin Kou Ichchha । Vitaran Kar Deu Bhaktan Bhiksha ॥ 28 ॥ Kehi Vidhi Prabhu Main Tumhe Manaoon । Jaaso Kripa-prasad Tav Paoon ॥ Sadhu Sujan Ke Tum Rakhavare । Bhaktan Ke Ho Sada Sahare ॥ Dushtoo Sharan Aani Jab Pari । Pooran Ichchha Unaki Kari ॥ Yah Santan Kari Sahaj Subhaoo । Suni Aashchary Kari Jani Kau ॥ 32 ॥ Aisi Karahu Aap Ab Daya । Nirmal Hoi Jai Man Aur Kaya ॥ Dharm Karm Mein Roochi Hoi Jaave । Jo Jan Nit Tav Stuti Gaavai ॥ Aave Sadgun Taape Bhaari । Sukh Sampati Soi Paave Saari ॥ Hoy Taasu Sab Pooran Kaama । Ant Samay Pavai Vishrama ॥ 36 ॥ Chari Padarath Hai Jag Mahi । Tav Kripa Prasad Kachhu Durlabh Naahi ॥ Traahi Traahi Main Sharan Tihaari । Harahu Sakal Mam Vipada Bhari ॥ Dhany Dhany Bad Bhagy Hamaro । Pavai Daras Paras Tav Nyaro ॥ Karmahin Aru Buddhi Viheena । Tav Prasad Kachhu Varnan Keenha ॥40 ॥ ॥ Doha ॥ Shraddha Ke Yah Pushp Kachhu । Charanan Dhari Samhar ॥ Kripasindhu Gurudev Prabhu । Kari Leejai Sweekar ॥
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