मंत्र पुष्पांजलि (Mantra Pushpanjali)


मंत्र पुष्पांजलि (Mantra Pushpanjali)

प्रथम:
ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तनि धर्माणि प्रथमान्यासन् ।
ते ह नाकं महिमान: सचंत यत्र पूर्वे साध्या: संति देवा: ॥

द्वितीय:
ॐ राजाधिराजाय प्रसह्य साहिने।
नमो वयं वैश्रवणाय कुर्महे।
स मस कामान् काम कामाय मह्यं।
कामेश्र्वरो वैश्रवणो ददातु कुबेराय वैश्रवणाय।
महाराजाय नम: ।

तृतीय:
ॐ स्वस्ति, साम्राज्यं भौज्यं स्वाराज्यं
वैराज्यं पारमेष्ट्यं राज्यं महाराज्यमाधिपत्यमयं ।
समन्तपर्यायीस्यात् सार्वभौमः सार्वायुषः आन्तादापरार्धात् ।
पृथीव्यै समुद्रपर्यंताया एकरा‌ळ इति ॥

चतुर्थ:
ॐ तदप्येषः श्लोकोभिगीतो।
मरुतः परिवेष्टारो मरुतस्यावसन् गृहे।
आविक्षितस्य कामप्रेर्विश्वेदेवाः सभासद इति ॥
॥ मंत्रपुष्पांजली समर्पयामि ॥

मंत्र पुष्पांजलि (Mantra Pushpanjali) आम तौर पर अनुष्ठान के दौरान पूजा की जाने वाली देवी या देवताओं के प्रति श्रद्धा, भक्ति और आशीर्वाद के लिए अनुरोध व्यक्त करता है। हिंदू समारोहों में इस मंत्र के साथ समापन करना एक आम प्रथा है, जहां देवता की कृपा और आशीर्वाद पाने के लिए प्रार्थना और भजन के साथ फूल चढ़ाए जाते हैं।

मंत्र पुष्पांजलि का अर्थ (Meaning of Mantra Pushpanjali)

पहला
यज्ञ के माध्यम से ही देवताओं ने प्रजापति की पूजा की। वे यज्ञ और तत्सम पूजा के प्रारंभिक अनुष्ठान कर्ता थे। यज्ञ करने से साधक उस दिव्य लोक में पहुँचकर महानता प्राप्त करता है जहाँ पहले देवता निवास करते थे।

दूसरा
हम राजा वैश्रवण कुबेर को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जो हमारे लिए अनुकूल परिस्थितियाँ सुनिश्चित करते हैं। कामना करने वाले की सभी मनोकामनाएं कामनेश्वर कुबेर पूर्ण करें।

तीसरा
हमारा लक्ष्य सबके लिए कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है. हमारा राज्य सभी वस्तुओं से प्रचुर मात्रा में सुसज्जित हो। यहां लोकराज्य हो. हमारा राज्य मोह और लोभ से रहित होना चाहिए। हम एक सर्वोच्च शासक के रूप में उत्कृष्टता प्राप्त करें। हमारा राज्य क्षितिज के पार सुरक्षित रहे और ज़मीन से लेकर समुद्र तक एक स्थायी शासन का आनंद उठाए। हमारा राज्य अंत तक कायम रहे।

चौथा
यह श्लोक राज्य और उसकी महिमा के सम्मान में गाया जाता है। हमें अविक्षित के पुत्र मरुती के सहयोग से राज्य प्राप्त हो। यही कामना है।

मंत्र पुष्पांजलि की विधि (Mantra Pushpanjali Vidhi)

मंत्र पुष्पांजलि की विधि को निम्नलिखित प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है:तैयारी: इस मंत्र का पाठ करने से पहले, शुद्धि और संकल्प करें। ध्यान और मन को एकाग्र रखें।

पूजा स्थल: एक शुद्ध और साफ पूजा स्थल चुनें। यह स्थल आरामदायक होना चाहिए और पूजा के लिए उपयुक्त होना चाहिए।

आसन: पूजा के लिए विशेष आसन पर बैठें। सही आसन में बैठकर ध्यान में रहें।
मंत्र पुष्पांजलि का पाठ: मंत्र पुष्पांजलि (Mantra Pushpanjali) को धीमी आवाज में ध्यानपूर्वक पढ़ें। इसे ध्यान से सुनते हुए उच्चारण करें।

पुष्पांजलि अर्पण: मंत्र पाठ करते समय, फूलों की माला या अन्य फूलों को अपने हाथों में लें। मंत्र पूरा होने पर फूलों को ईश्वर की अर्पणा करें।

ध्यान और प्रार्थना: मंत्र पुष्पांजलि के पाठ के बाद, ध्यान करें और ईश्वर से आशीर्वाद और शांति की प्रार्थना करें।
समापन: सम्पूर्ण प्रक्रिया के बाद, ध्यान और आनंद से शांति का अनुभव करें।

कृपया ध्यान दें कि ये विधियाँ सामान्यत: प्राचीन धार्मिक प्रथाओं और शास्त्रों पर आधारित हैं और ये व्यक्तिगत धार्मिक अनुभवों में भिन्न हो सकती हैं।

मंत्र पुष्पांजलि के फायदे (Benefit of Mantra Pushpanjali)

मंत्र पुष्पांजलि के जाप करने से कई फायदे है जो की निम्नानुसार हैं:-आत्मशुद्धि: इस मंत्र का जाप करने से आत्मा में शुद्धि और ऊर्जा का संचार होता है।
ध्यान और शांति: इस मंत्र के जाप से चित्त शांति और ध्यान में स्थिरता मिलती है।
सामाजिक सहयोग: यह मंत्र समाज में सहयोग, समृद्धि और सामंजस्य की भावना विकसित करता है।
आध्यात्मिक उन्नति: इसके जाप से आध्यात्मिक उन्नति होती है और आध्यात्मिक उद्देश्यों की प्राप्ति में मार्गदर्शन होता है।
व्यक्तिगत उन्नति: इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति की मानसिक, आध्यात्मिक और शारीरिक स्थिति में सुधार हो सकता है।
कृपा और आशीर्वाद: यह मंत्र ईश्वर की कृपा, शक्ति, और आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करता है।
सुख-शांति की प्राप्ति: इस मंत्र के जाप से समय की ऊर्जा, शांति, और सफलता प्राप्त होती है।

कृपया ध्यान दें कि ये लाभ सामान्य मान्यताओं और प्राचीन धार्मिक शास्त्रों पर आधारित हैं और ये व्यक्तिगत अनुभवों में भिन्नता हो सकती है।

Mantra Pushpanjali Video



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