पार्वती स्वयंवर मंत्र (Parvati Swayamvar Mantra)



“ओम ह्रीं योगिनिम योगिनी योगेश्वरी योग भयंकरकारी सकल

स्थावर जंगमस्य मुख हृदयं मम वासं आकर्षय आकर्षय स्वाहा”

पार्वती स्वयंवर मंत्र का जाप किसी भी शुभ दिन, जैसे सोमवार, शुक्रवार या शिवरात्रि के दिन किया जा सकता है। जाप करते समय, एकांत स्थान में बैठें और अपने सामने एक दीपक जलाएं। फिर, मंत्र का जाप 108 बार या अधिक करें। मंत्र का जाप करते समय, देवी पार्वती की छवि या तस्वीर पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।


Parvati Swayamvar Mantra English Lyrics

“om hriin yoginim yoginii yogeshvarii yog bhayankarakaarii sakal

sthaavar jangamasy mukh hṛdayam mam vaasam aakarshay aakarshay svaahaa”


पार्वती स्वयंवर मंत्र का अर्थ 

इस मंत्र में, “ॐ” एक बीज मंत्र है जो ब्रह्मांड की ऊर्जा को आकर्षित करता है। “ह्रीं” देवी पार्वती का बीज मंत्र है। “योगिनी” देवी पार्वती के एक रूप का नाम है जो योग और ध्यान में निपुण हैं। “योगेश्वरी” देवी पार्वती का एक अन्य रूप का नाम है जो योग की देवी हैं। “योग भयानकारी” देवी पार्वती के एक और रूप का नाम है जो योग के माध्यम से भय को दूर करती हैं। “सकल स्थावर जंगमस्य” का अर्थ है “सभी स्थिर और गतिशील प्राणियों का”। “मुखा हृदयम्” का अर्थ है “मुख और हृदय”। “माम् वशम आकर्षा आकर्षय” का अर्थ है “मुझे आकर्षित करो, मुझे आकर्षित करो”।



पार्वती स्वयंवर मंत्र विधि (Parvati Swayamvar Mantra Vidhi)

शुद्धि प्राप्ति:

सबसे पहले, आपको अपने मन को शुद्धि देने के लिए प्रयत्नशील रूप से ध्यान और मेधा बढ़ाना चाहिए. इससे मंत्र के प्रभाव को बढ़ावा मिलता है

स्थान चयन:

एक शांत, पवित्र, और शुभ स्थान का चयन करें जहाँ आप मंत्र जप कर सकते हैं. एकान्त स्थान अच्छा रहता है.

आसन चयन:

एक साधु आसन पर बैठें और सुखासन, पद्मासन या वज्रासन का चयन करें.

मंत्र जप:

मंत्र का जप करने से पहले, आपको मंत्र को सही ढंग से उच्चारित करना चाहिए. इसे ध्यान से, श्रद्धाभाव से, और स्पष्ट आवज़ में जप करें.

नियमितता:

मंत्र का नियमित जप करें, यह बेहतर होता है कि आप इसे दिन में एक ही समय और एक ही स्थान पर करें.

शांति पूजा:

मंत्र जप के बाद, शांति पूजा करें और माता पार्वती से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए धन्यवाद अर्पित करें.

ईश्वर की अर्पणा:

साधना के अंत में, आप ईश्वर को आपकी पूजा और मंत्र जप की अर्पणा करें और उनसे माता पार्वती की कृपा की प्रार्थना करें.


पार्वती स्वयंवर मंत्र नियम (Parvati Swayamvar Mantra Rule)

शुद्धता:
साधना के लिए शुद्धता बहुत महत्वपूर्ण है। आपको शरीरिक और मानसिक शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए।

समर्पण:

साधना में समर्पण रखें और अपने मन, वचन, और क्रिया से पूरी तरह से मंत्र के जप में लीन रहें।

नियमितता:

मंत्र का नियमित जप करें, यानी कि आपको इसे निर्धारित समय और स्थान पर निरंतर रूप से जप करना चाहिए।

माला का उपयोग:

माला का उपयोग करके मंत्र की गिनती करने में मदद करें। माला को ध्यानपूर्वक और ध्यान से ही चलाएं।

ध्यान:

मंत्र के जप के समय ध्यान को बनाए रखें। माता पार्वती के रूप को मन की आँखों के सामने आने दें और उनकी कृपा के लिए प्रार्थना करें।

आत्म-निग्रह:

अपने मन को नियंत्रित करने का प्रयास करें और अन्य विचारों को बाहर निकालें। एकाग्रचित्त रहने का प्रयास करें।

आशीर्वाद:

मंत्र जप के दौरान माता पार्वती से आशीर्वाद मांगें और उनकी कृपा को अपने ऊपर महसूस करने का प्रयास करें।

आत्म-अध्ययन:

साधना के दौरान आत्म-अध्ययन का समय निकालें और अपने आत्मा की ओर बढ़ें।

पूजा और अर्पण:

मंत्र जप के बाद, एक छोटी सी पूजा करें और अपने समस्त साधना को माता पार्वती के चरणों में समर्पित करें।

पार्वती स्वयंवर मंत्र के लाभ (Parvati Swayamvar Mantra Benefit)

पार्वती स्वयंवर मंत्र को हिन्दू धर्म में एक शक्तिशाली मंत्र माना जाता है जो माता पार्वती की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने में सहायक हो सकता है, विशेषकर विवाह सम्बंधित मामलों में. इस मंत्र का जाप करने के विभिन्न लाभ हो सकते हैं:

विवाह सुख:

पार्वती स्वयंवर मंत्र का जाप करने से विवाह सम्बंधित समस्याएं दूर हो सकती हैं और विवाही जीवन में सुख-शांति बनी रहती है.

पति-पत्नी संबंध में सुधार:

माता पार्वती की कृपा से पति-पत्नी के बीच संबंध में मेल-जोल बना रह सकता है और संबंधों में समर्थन बढ़ता है.

कठिनाइयों का सामना:

जीवन में आने वाली कठिनाइयों को पार करने में मदद करता है.

शांति और समृद्धि:

मंत्र का जाप करने से मानसिक शांति बनी रह सकती है और जीवन में समृद्धि मिलती है.

आत्म-विकास:

मंत्र का नियमित जाप करने से आत्म-विकास में सहायक हो सकता है और व्यक्ति को अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में मदद करता है.

हालांकि, यह महत्त्वपूर्ण है कि यह मान्यता और श्रद्धा के साथ किया जाए, और इसे सावधानीपूर्वक और उचित रूप से किया जाए. धार्मिक मान्यताओं में मंत्रों का जाप व्यक्ति के आत्मिक और आध्यात्मिक विकास में सहायक होता है।


Parvati Swayamvar Mantra Video



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